दुःख देखना है तो पीछे देखे,
सुख देखना है तो आगे देखे,
और यदि इन दोनों से परे सच्ची ख़ुशी चाहिए,
तो वर्तमान में ज्ञान की आँख से देखें।
दुःख देखना है तो पीछे देखे,
सुख देखना है तो आगे देखे,
और यदि इन दोनों से परे सच्ची ख़ुशी चाहिए,
तो वर्तमान में ज्ञान की आँख से देखें।