इंसान को थोड़ा मस्तीखोर होना चाहिए,
serious लोग तो hospital में बहोत मिल जाएंगे,
जिसकी मस्ती ज़िंदा है, उसकी हस्ती ज़िंदा है,
वरना यूँ समझ लो की वो जबरदस्ती ज़िंदा है।
इंसान को थोड़ा मस्तीखोर होना चाहिए,
serious लोग तो hospital में बहोत मिल जाएंगे,
जिसकी मस्ती ज़िंदा है, उसकी हस्ती ज़िंदा है,
वरना यूँ समझ लो की वो जबरदस्ती ज़िंदा है।