काबिल लोग ना तो किसी से दबते है
और ना ही किसी को दबाते हैं,
जवाब देना उन्हें भी खूब आता है,
पर कीचड़ में पत्थर कौन मारे,
ये सोचकर चुप रह जाते हैं।
काबिल लोग ना तो किसी से दबते है
और ना ही किसी को दबाते हैं,
जवाब देना उन्हें भी खूब आता है,
पर कीचड़ में पत्थर कौन मारे,
ये सोचकर चुप रह जाते हैं।