चंपक – “मम्मी, तुम्हें उस प्लेट की याद है,
जिसकी तुम्हें हमेशा चिन्ता लगी रहती थी कि वह टूट न जाए?
मम्मी – “हां, क्यों?”
चंपक – “तुम्हारी चिंता खत्म हो गई।”
चंपक – “मम्मी, तुम्हें उस प्लेट की याद है,
जिसकी तुम्हें हमेशा चिन्ता लगी रहती थी कि वह टूट न जाए?
मम्मी – “हां, क्यों?”
चंपक – “तुम्हारी चिंता खत्म हो गई।”